जिसे साहस कहे, संयम कहे, या व्यथा
एक तालाब के किनारे इमारत को लग गई आग....
मच गयी अफरातफरी और भागमभागम....
कुछ लोगोंने आग में घीरे लोगोंको बाहर निकाला..
सभी ने ओ किया, जो था किसकी पहुंच में
एक चिड़ियाँ भी डाल रही थी पानी.... भरकर अपनी चोंच में
उसी वक्त पेड पर बैठा हुआ कौआ बोला
'चिडिया बहन, ये तु क्या कर रही है
सुई के नोक से समस्या का ताला खोल रही है
और पत्तो की बांट से पहाड तोल रही है....
अरे, तेरी चोंच में जितना पानी आयेगा
उससे आग का एक शोला भी नहीं बुझ पायेगा
तब चिड़ियाँ ने दिया जवाब...एकदम लाजवाब...
मेरे कौवे भाई, मै तेरी बात मानती हूँ
चोंच में भरें पानी की क्षमता भी पहचानती हूँ....
मैं तो बस केवल इतनाही जानती हूँ
जिस दिन इस घटना का इतिहास लिखा जाएगा,
मेरा नाम, आग लगानेवालों में नहीं, आग बुझानेवालों में लिखा जाएगा।
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